अम्ल, क्षार एवं लवण
संसूचक(Indicator):
वे पदार्थ जो अपने रंग में परिवर्तन कर दुसरे पदार्थों के साथ अम्लीय या क्षारकीय व्यवहार करते हैं उन्हें संसूचक कहा जाता है |
संसूचक के प्रकार : वैसे तो संसूचक बहुत प्रकार के होते है | परन्तु इनके समान्य प्रकार इस प्रकार है :
(i) प्राकृतिक संसूचक (Natural Indicator) : वे सूचक जो प्राकृतिक स्रोतों के प्राप्त होते है प्राकृतिक संसूचक कहलाते है | जैसे - लिटमस, हल्दी, चाइना रोज, लाल गोभी आदि |
लिटमस : लिटमस विलयन बैंगनी रंग का रंजक होता है जो थैलाफाइटा समूह के लाईकेन (Lichen) के पौधे से निकला जाता है | लिटमस विलयन जब न तो अम्लीय होता है न ही क्षारकीय, तब इसका रंग बैगनी होता है |
लिटमस पत्र : लिटमस पत्र दो रंगों का होता है -
नीला एवं लाल |
अम्ल नीले लिटमस पत्र को लाल कर देता है जबकि क्षार लाल लिटमस पत्र को नीला कर देता है |
हल्दी : हल्दी भी एक अन्य प्रकार का प्राकृतिक सूचक है | यह पीला रंग का होता है, कई बार आपने देखा होगा जब किसी सफ़ेद कपड़ों पर सब्जी का दाग लग जाता है और जब इसे साबुन (क्षारीय प्रकृति) से धोते है तो यह उस दाग के धब्बे को भूरा-लाल कर देता है |
अम्ल के साथ हल्दी के रंग में कोई परिवर्तन नहीं होता है |
क्षारक के साथ इसका रंग भूरा-लाल हो जाता है |
(ii) संश्लेषित संसूचक (Synthetic Indicator) : ये वे सूचक है जो प्राकृतिक नहीं होते अपितु ये रसायनिक पदार्थों द्वारा बनाए गए होते है | जैसे - मेथिल ऑरेंज एवं फिनोल्फ्थेलीन आदि | इनका उपयोग अम्ल एवं क्षारक की जाँच के लिए होता है |
(iii) गंधीय संसूचक (Olfactory Indicator): कुछ ऐसे पदार्थ होते हैं जिनकी गंध अम्लीय या क्षारकीय माध्यम में बदल जाती है | ऐसे पदार्थों को गंधीय (Olfactory) सूचक कहते हैं | जैसे - वैनिला, प्याज एवं लौंग आदि |
(iv) सार्वत्रिक सूचक (Universal Indicator) : सार्वत्रिक सूचक अनेक सूचकों का मिश्रण होता है | लिटमस, मेथिल ऑरेंज एवं फिनोल्फ्थेलीन आदि जैसे सूचकों के उपयोग से किसी विलयन के केवल अम्लीय या क्षारीय प्रकृति का ही पता लगाया जा सकता है परन्तु इस सार्वत्रिक सूचक के प्रयोग से अम्ल या क्षारक की प्रकृति के साथ-साथ उनकी प्रबलता की माप का माप भी बताता है |
अम्ल एवं क्षारक का रासायनिक गुणधर्म-
1.अम्ल की धातु धातु से अभिक्रिया (Reaction with acids and metals):
अम्ल धातु से अभिक्रिया कर संगत धातु की लवण और हाइड्रोजन गैस प्रदान करता है :
अम्ल + धातु → लवण + हाइड्रोजन गैस
जिंक के साथ हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की अभिक्रिया से जिंक क्लोराइड और हाइड्रोजन गैस बनता है |
2 HCl + Zn → ZnCl2 + H2
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल जिंक जिंक क्लोराइड हाइड्रोजन गैस'
सोडियम के साथ हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की अभिक्रिया से सोडियम क्लोराइड और हाइड्रोजन गैस बनता है |
2 HCl + 2 Na → 2NaCl + H2
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल सोडियम सोडियम क्लोराइड हाइड्रोजन गैस
धातु जिंक की सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया से जिंक सल्फेट और हाइड्रोजन गैस का निर्माण होता है |
H2 SO4 + Zn → ZnSO4 + H2
सल्फ्यूरिक अम्ल जिंक जिंक सल्फेट हाइड्रोजन गैस
हाइड्रोजन गैस की जाँच (Testing of Hydrogen Gas):
जब हम किसी धातु का किसी अम्ल से अभिक्रिया कराते है तो यह संगत लवण और हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करता है | अभिक्रिया के इस अवधि के दौरान, जब हम एक जलती हुई मोमबत्ती इस गैस के पास ले जाते है तो यह पॉप ध्वनि उत्पन्न होती है | पॉप ध्वनि यह बताती है कि उत्पन्न गैस हाइड्रोजन है |
2.धातु कार्बोनेट/धातु हाइड्रोजनकार्बोनेट के साथ अम्ल की अभिक्रिया (Reaction of Metal Carbonate/Metal Hydrogencarbonate with Acids):
चूनापत्थर, चाक और संगमरमर कैल्शियम कार्बोनेट के विभिन्न रूप है | सभी धातु कार्बोनेट और हाइड्रोजनकार्बोनेट अम्ल के साथ अभिक्रिया कर संगत लवण, कार्बन डाइऑक्साइड और जल प्रदान करता है |
इस अभिक्रिया का समान्य रूप इस प्रकार है :
धातु कार्बोनेट + अम्ल → लवण + कार्बन डाइऑक्साइड + जल
उदाहरण:
कैल्शियम क्लोराइड, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया कर कैल्शियम क्लोराइड, कार्बन डाइऑक्साइड और जल प्रदान करता है |
CaCO3 + 2HCl → CaCl2 + CO2 + H2O
(कैल्शियम कार्बोनेट) (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल) (कैल्शियम क्लोराइड) (कार्बन डाइऑक्साइड) (जल)
नाइट्रिक अम्ल, सोडियम कार्बोनेट के साथ अभिक्रिया कर सोडियम नाइट्रेट, कार्बन डाइऑक्साइड और जल बनाता है |
2NHO3 + Na2CO3 → NaNO3 + CO2 + 2H2O
(नाइट्रिक अम्ल) (सोडियम कार्बोनेट ) (सोडियम नाइट्रेट) (कार्बन डाइऑक्साइड ) (जल)
इसी प्रकार ये निम्न अभिक्रिया भी संपन्न होगी ;
सोडियम कार्बोनेट + हाइड्रोक्लोरिक अम्ल → सोडियम क्लोराइड + कार्बन डाइऑक्साइड + जल
कैल्शियम कार्बोनेट + सल्फ्यूरिक अम्ल → कैल्शियम सल्फेट + कार्बन डाइऑक्साइड + जल
धातु हाइड्रोजन कार्बोनेट और अम्ल की अभिक्रिया (Reaction of Metal hydrogencarbonate With Acids):
समान्य सूत्र (General Formulla);
धातु हाइड्रोजन कार्बोनेट (बाईकार्बोनेट) + अम्ल → लवण + कार्बनडाइऑक्साइड + जल
उदाहरण:
सोडियम बाईकार्बोनेट, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया कर सोडियम क्लोराइड, कार्बन डाइऑक्साइड, और जल बनाता है |
NaHCO3 + 2HCl → NaCl + CO2 + H2O
(सोडियम बाईकार्बोनेट) (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल) (सोडियम क्लोराइड) (कार्बन डाइऑक्साइड) (जल)
3. धातु एवं क्षारक की अभिक्रिया (Reaction with bases and Metals):
क्षारक धातुओं से अभिक्रिया कर संगत धातु का लवण और हाइड्रोजन गैस बनाते हैं |
सोडियम हाइड्रोऑक्साइड जिंक के साथ अभिक्रिया कर सोडियम ज़िन्केट और हाइड्रोजन गैस देता है |
2NaOH(aq) + Zn(s) → Na2 ZnO2(aq) + H2(g)
(सोडियम हाइड्रोऑक्साइड) (जिंक) (सोडियम ज़िन्केट) (हाइड्रोजन गैस)
सोडियम हाइड्रोऑक्साइड एल्युमुनियम के साथ अभिक्रिया कर सोडियम एलुमिनेट और हाइड्रोजन गैस देता है |
2NaOH(aq) + 2 Al (s) + 2H2O → 2 NaAlO2(aq) + 2H2(g)
(सोडियम हाइड्रोऑक्साइड) (एल्युमीनियम) (जल) (सोडियम एलुमिनेट) (हाइड्रोजन गैस)
उदासीनीकरण अभिक्रिया (Neutralisation Reaction):
अम्ल और क्षारक की आपसी अभिक्रिया से लवण और जल का निर्माण होता है इस प्रकार की अभिक्रिया को उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं |
The reaction between an acid and a base to give a salt and water is known as a neutralisation reaction.
उदासनिकरण अभिक्रिया को समान्य सूत्र में इस प्रकार से लिखा जाता है :
क्षारक + अम्ल → लवण + जल
अम्ल और क्षारक की अभिक्रिया (Reaction With Acids and Bases):
सोडियम हाइड्रोऑक्साइड, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया कर साधारण नमक और जल बनाता है |
NaOH(aq) + HCl(aq) → NaCl(aq) + H2O(l)
(सोडियम हाइड्रोऑक्साइड) (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल) (सोडियम क्लोराइड) (जल)
सोडियम हाइड्रोऑक्साइड, नाइट्रिक अम्ल से अभिक्रिया कर सोडियम नाइट्रेट और जल बनाता है |
NaOH(aq) + HNO3 (aq) → NaNO3 (aq) + H2O (l)
(सोडियम हाइड्रोऑक्साइड) (नाइट्रिक अम्ल) (सोडियम नाइट्रेट) (जल)
सोडियम हाइड्रोऑक्साइड, सल्फ्यूरिक अम्ल से अभिक्रिया कर सोडियम सल्फेट और जल बनाता है |
NaOH(aq) + H2SO4 → NaSO4(aq) + H2O(l)
(सोडियम हाइड्रोऑक्साइड) (सल्फ्यूरिक अम्ल) (सोडियम सल्फेट) (जल)
धातु-ऑक्साइड का अम्लों के साथ अभिक्रिया (Reaction of Metal-oxides with acid):
सभी धातु-ऑक्साइड क्षारकीय प्रकृति की होती हैं इसलिए ये अम्ल के साथ अभिक्रिया कर लवण एवं जल बनाती है यह बिल्कुल उदासीनीकरण अभिक्रिया की तरह ही होती है |
आयरन (III) ऑक्साइड सल्फ्यूरिक अम्ल से अभिक्रिया कर आयरन सल्फेट और जल बनाता है |
Fe2O3 + 3 H2SO4 → Fe2 (SO4)3 + 3 H2O
(फेरस III ऑक्साइड) (सल्फ्यूरिक अम्ल) ( फेरस सल्फेट) (जल)
कॉपर ऑक्साइड हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया कर कॉपर क्लोराइड एवं जल प्रदान करता है |
CuO + 2HCl → CuCl2 + H2O
(कॉपर ऑक्साइड) (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल) (कॉपर क्लोराइड) (जल)
कैल्शियम ऑक्साइड, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया कर कैल्शियम क्लोराइड एवं जल प्रदान करता है |
CaO(aq) + 2HCl(aq) → CaCl2 (aq) + H2O(l)
(कैल्शियम ऑक्साइड) (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल) (कैल्शियम क्लोराइड) (जल)
क्षारक और अधातु ऑक्साइड का अभिक्रिया :
अधातुओं की प्रकृति अम्लीय होती है जो क्षारक से अभिक्रिया कर लवण एवं जल बनाता है, यह अभिक्रिया उदासीनीकरण अभिक्रिया के समान ही होता हैं |
क्षारक + अधात्विक ऑक्साइड → लवण + जल
सोडियम हाइड्रोक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड से अभिक्रिया कर सोडियम कार्बोनेट और जल देता है |
2NaOH(aq) + CO2 (g) → Na2CO3(s) + H2O
(सोडियम हाइड्रोक्साइड) (कार्बन ऑक्साइड) (सोडियम कार्बोनेट) (जल )
लवण (Salts):
लवण : लवण अम्ल एवं क्षारक के उदासीनीकरण अभिक्रिया का आयनिक उत्पाद है |
(i) अम्लीय लवण : अम्लीय लवण प्रबल अम्ल एवं दुर्बल क्षारक के आपसी अभिक्रिया के फलस्वरूप प्राप्त होता है |
अम्लीय लवण (Acidic Salt): NH4Cl
HCl + NH4OH → NH4Cl + H2O
प्रबल अम्ल दुर्बल क्षारक अम्लीय लवण
(ii) उदासीन लवण : उदासीन लवण प्रबल अम्ल एवं दुर्बल क्षारक के आपसी अभिक्रिया से प्राप्त होता है |
उदासीन लवण (Neutral Salt): NaCl
HCl + NaOH → NaCl + H2O
प्रबल अम्ल प्रबल क्षारक उदासीन लवण
(iii) क्षारकीय लवण : क्षारकीय लवण प्रबल क्षारक एवं दुर्बल अम्ल की आपसी अभिक्रिया से प्राप्त होता है |
क्षारकीय लवण (Basic Salt): NaC2H3O2
HC2H3O2 + NaOH → NaC2H3O2 + H2O
दुर्बल अम्ल प्रबल क्षारक क्षारकीय लवण
pH स्केल :
किसी विलयन में उपस्थित हाइड्रोजन आयन की सांद्रता ज्ञात करने के लिए एक स्केल विकसित किया गया है जिसे pH स्केल कहते हैं | इस स्केल में 1 से 14 तक अंक अंकित रहते है जो किसी अम्ल या क्षारक की प्रबलता और दुर्बलता के साथ-साथ उनके मान की बताता है |
यह एक प्रकार का सार्वत्रिक सूचक होता है |
हाइड्रोनियम आयन की सांद्रता जीतनी अधिक होगी उसका pH उतना ही कम होगा |
किसी भी उदासीन विलयन के pH का मान 7 होगा |
यदि pH स्केल में किसी विलयन का मान 7 से कम है तो यह अम्लीय होगा | 7 से कम होने पर H+ आयन की सांद्रता बढती है | अर्थात अम्ल की शक्ति बढ़ रही है |
यदि pH का मान 7 से अधिक है वह क्षार होगा | 7 से अधिक होने पर OH- की सांद्रता बढती है अर्थात क्षारक की शक्ति बढ़ रही है |
प्रबल अम्ल : जिस विलयन में अधिक संख्या में H+ आयन उत्पन्न करने वाले अम्ल प्रबल अम्ल कहलाते हैं |
दुर्बल अम्ल: जबकि कम H+ आयन उत्पन्न करने वाले अम्ल दुर्बल अम्ल कहलायेंगे |
प्रबल क्षारक :
दुर्बल क्षारक :