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रासायनिक अभिक्रियाएं और समीकरण (Chemical Reactions And Equations)

 1. रासायनिक अभिक्रियाएँ और समीकरण

रसायनिक परिवर्तन को भी रासायनिक अभिक्रिया कहा जाता है |

रासायनिक अभिक्रिया के दो भाग होते है -

(1)   अभिकारक  

(2)   उत्पाद 

वे पदार्थ जिनमे रसायनिक अभिक्रिया के द्वारा रसायनिक परिवर्तन होता है अभिकारक कहलाते है | 

अभिक्रिया के दौरान नए बनने वाले पदार्थ उत्पाद कहलाते है |

शब्द-समीकरण में अभिकारकों के उत्पाद में परिवर्तन को उनके मध्य एक तीर का निशान लगाकर दर्शाया जाता है | 

तीर का सिरा उत्पाद की ओर इंगित करता है और अभिक्रिया होने की दिशा को दर्शाता है | 

अभिकारकों के बीच योग (+) का चिन्ह लगाकर उन्हें बाई ओर (LHS) लिखा जाता है | इसी प्रकार उत्पादों के बीच भी योग (+) चिन्ह लगाकर उन्हें दाई ओर (RHS) लिखा जाता है | 

शब्दों की जगह रसायनिक सूत्र का उपयोग करके रसायनिक समीकरणों को अधिक संक्षिप्त और उपयोगी बनाया जा सकता है | 

एक रसायनिक समीकरण एक रसायनिक अभिक्रिया का प्रतिनिधित्व करता है | 

प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या तीर के दोनों ओर सामान होते है | 

असंतुलित रसायनिक समीकरण को कंकाली समीकरण कहते है |

द्रव्यमान संरक्षण के नियम को संतुष्ट करने के लिए रसायनिक समीकरण को संतुलित किया जाता है |

द्रव्यमान संरक्षण के नियम : किसी भी रसायनिक अभिक्रिया में द्रव्यमान का ना तो सृजन होता है ना ही विनाश होता है | 

किसी भी रसायनिक अभिक्रिया के उत्पाद तत्वों का कुल द्रव्यमान अभिकारक तत्वों के कुल द्रव्यमान के बराबर होता है |

रसायनिक अभिक्रिया के बाद और रसायनिक अभिक्रिया के पहले प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या समान रहती है | 

कंकाली समीकरण को Hit and trial method or inspecting method के उपयोग से संतुलित किया जा सकता है | 

संयोजन अभिक्रिया, वियोजन  अभिक्रिया, विस्थापन  अभिक्रिया, द्वि-विस्थापन  अभिक्रिया, उपचयन और अपचयन ये सभी रसायनिक अभिक्रिया के प्रकार है | 

संक्षारण और विकृत-गंधिता उपचयन  अभिक्रिया के प्रभाव के कारण होते है | 

एक सम्पूर्ण रसायनिक अभिक्रिया अभिकारक, उत्पाद और उनके भौतिक दशाओं को संकेतों में दर्शाता है | 

संयोजन अभिक्रिया में दो या दो से अधिक पदार्थ मिलकर एक एकल नया उत्पाद बनाते है | 

जिस अभिक्रिया में ऊर्जा का अवशोषण होता है वह ऊष्माशोषी अभिक्रिया कहलाती है |

अवक्षेपण अभिक्रियायें अघुलनशील लवणों का उत्पादन करती है | 

द्वि-विस्थापन अभिक्रिया में दो भिन्न अणुओं या अणुओं के समूहों में बीच आयनों (ions) का अदान-प्रदान होता है | 

अभिक्रिया में पदार्थों से ऑक्सीजन या हाइड्रोजन का योग अथवा ह्रास भी होता है |

ऑक्सीजन का योग अथवा हाइड्रोजन का ह्रास आक्सीकरण या उपचयन कहलाता है | 

ऑक्सीजन का ह्रास अथवा हाइड्रोजन का योग अपचयन कहलाता है | 

जब कोई तत्व किसी यौगिक से किसी दुसरे तत्व को विस्थापित करता है तो विस्थापन अभिक्रिया होती है |

 विस्थापन अभिक्रिया में एक अधिक अभिक्रियाशील तत्व कम अभिक्रियाशील पदार्थ को विस्थापित कर देता है | जैसे आयरन जिंक और कॉपर को विस्थापित कर देता है क्योंकि आयरन  जिंक और कॉपर से अधिक अभिक्रियाशील है | 

द्वि-विस्थापन अभिक्रिया में आयनों का आदान-प्रदान होता है | 

हमारे भोजन में ऑक्सीजन के वृद्धि से भोजन का उपचयन तेजी से होता है जिससे वह विकृत-गंधित हो जाता है | 

 विकृत-गंधित पदार्थों का गंध और स्वाद बदल जाता है | 









1. रासायनिक अभिक्रियाएँ और समीकरण

रासायनिक अभिक्रिया :

वह प्रक्रिया जिससे दो या दो से अधिक उत्पाद मिलकर एक या एक से अधिक  गुणधर्म वाले नए पदार्थ का निर्माण करते है तो उसे रासायनिक अभिक्रिया कहते है 

जैसे

2H2 + O2 → 2H2O

(यहाँ हाइड्रोजन और ऑक्सीजन एक रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेकर एक नए गुणधर्म वाले पदार्थ का निर्माण करते है जो जल (H2O) है | )

दुसरे शब्दों में हम कह सकते है कि रासायनिक परिवर्तन को रासायनिक अभिक्रिया भी कहते है | हमारे आस-पास ऐसी बहुत सारी परिवर्तनें होती रहती है।

जैसे-

1-वायु के संपर्क में आने से जंग का लगाना |

2-अंगूर के रस का किण्वन |

3-भोजन का पकना |

4-हमारे शारीर में भोजन का पचना |

5-हम जो श्वसन करते है |

रासायनिक अभिक्रिया की पहचान :

रासायनिक अभिक्रिया की पहचान करना ताकि यह पता लगाया जा सके कि अभिक्रिया सम्पन्न हुआ है |

जब कोई अभिक्रिया संपन्न होता है तो उसे निम्न चिन्हों से पहचाना जाता है |

जैसे :

पदार्थ की अवस्था में परिवर्तन |

रंग में परिवर्तन |

गैस का निष्कासन |

ताप में परिवर्तन |

रासायनिक समीकरण: 

जब एक मैग्नीशियम रिबन को वायु में जलाया जाता है तो यह मैग्नीशियम ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है | यह एक रासायनिक अभिक्रिया के लिए कथन (statement) है, परन्तु इसे निम्न तरीके से लिखा जा सकता है |

मैग्नीशियम + ऑक्सीजन→ मैग्नीशियम ऑक्साइड

          (अभिकारक)                        (उत्पाद)

नोट: इस प्रकार समीकरणों को लिखना शब्द समीकरण कहलाता है |

रासायनिक अभिक्रिया को लिखने का दूसरा तरीका है;

Mg + O2 → MgO

रासायनिक समीकरण को लिखने का सांकेतिक तरीका है |

किसी रासायनिक अभिक्रिया के समीकरणों के दो भाग होते है |

1.  अभिकारक : वे पदार्थ जो किसी अभिक्रिया में भाग लेते है अभिकारक कहलाते है |

 जैसे -  ऊपर के समीकरण में मैग्नीशियम एवं ऑक्सीजन अभिक्रिया में भाग लेते है इसलिए ये            दोनों अभिकारक है |

2.  उत्पाद: किसी अभिक्रिया के दौरान नए बनने वाले पदार्थों को उत्पाद कहते है |

 जैसे - MgO      उत्पाद  है जो Mg और O2 के भाग लेने से नया पदार्थ बना है |

रासायनिक समीकरणों को लिखना : Imp.

रासायनिक समीकरण एक रासायनिक अभिक्रिया को प्रदर्शित करता है | इसलिए रासायनिक समीकरण में तीर के निशान के बायीं ओर अभिकारकों को लिखा जाता है और उनके बीच में (+) चिन्ह लगाया जाता है , इसीप्रकार तीर के दाई ओर उत्पादों को लिखा जाता है और उनके बीच (+) चिन्ह लगाया जाता है |

इसको समझिये :

रासायनिक समीकरण:

Mg + O2 → MgO

इस समीकरण को निरीक्षण कीजिए एवं  तीर के बायीं ओर और दायीं ओर के परमाणुओं की संख्या को गिनिए | प्रत्येक तत्व के दोनों ओर के अणुओं की संख्या समान नहीं है | ऑक्सीजन के परमाणुओं की संख्या थोड़ी असंतुलित है | बायीं ओर ऑक्सीजन के दो अणु है जबकि दायीं ओर सिर्फ 1 ही है |

इस प्रकार :

असंतुलित रासायनिक समीकरण को कंकाली समीकरण कहते है |

कंकाली रासायनिक समीकरणों को संतुलित करना:

द्रव्यमान संरक्षण के नियम को संतुष्ट करने के लिए रासायनिक समीकरणों को संतुलित किया जाता है |  तीर के बाई ओर तथा दाई ओर ओर के तत्वों के परमाणुओं की संख्या समान किया जाता है जिससे दोनों ओर के तत्वों के परमाणु समान हो सके |


  रासायनिक अभिक्रियाओं के प्रकार: 

रासायनिक अभिक्रियाओं में अणुओं के बीच बंध का बनने और टूटने से नए पदार्थ का निर्माण होता है | जैसे जल के अणुओं के टूटने से ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन उत्पन्न होते  हैं जबकि कार्बन तथा ऑक्सीजन के बीच बंध बनने से कार्बन डाइऑक्साइड प्राप्त होता है |

रासायनिक अभिक्रियाएँ निम्न प्रकार की होती है |

(i)  संयोजन अभिक्रिया (Combination Reaction)

(ii) वियोजन या अपघटन अभिक्रिया (Decomposition Reaction)

(iii) विस्थापन अभिक्रिया (Displacement Reaction)

(iv) द्वि-विस्थापन (Double Displacement Reaction)

(v) उपचयन एवं अपचयन (Oxydation and Reduction Reaction)
1. संयोजन अभिक्रिया (Combination Reaction) 

वह अभिक्रिया जिसमें दो या दो से अधिक अभिकारकों से एक एकल उत्पाद का निर्माण  होता है तो ऐसी अभिक्रिया को संयोजन अभिक्रिया कहते है |

इस अभिक्रिया के लिए समान्य सूत्र:   A + B → AB

CaO(s)               +            H2O(l)         →        Ca(OH)2(aq)

कैल्शियम ऑक्साइड             जल                      कैल्शियम हाइड्रोऑक्साइड

      (चुना)                                                        (बुझा हुआ चुना)

परिभाषा के अनुसार रासायनिक समीकरण से तुलना करने पर हम देखते है कि कैल्शियम ऑक्साइड और जल जो दो अभिकर्मक है एकल उत्पाद कैल्शियम हाइड्रोऑक्साइड  बनाते हैं|

कैल्शियम हाइड्रोऑक्साइड Ca(OH)2: कैल्शियम हाइड्रोऑक्साइड का उपयोग दीवारों पर सफेदी करने के लिए किया जाता है | यह एक अवक्षेपण अभिक्रिया है |  जब कैल्शियम हाइड्रोऑक्साइड से दीवारों पर पुताई की जाती है तो यह वायु में उपस्थित CO2 से अभिक्रिया करके कैल्शियम कार्बोनेट का एक पतला परत बनाता है और इसके साथ जल  (H2O) का भी निर्माण होता है जो वाष्पीकृत हो जाता है |

इस प्रक्रिया का समीकरण इस प्रकार है |

Ca(OH)2 (aq)   +   CO2(g)  →   CaCO3(s)  +   H2O(l)

   कैल्शियम                              कैल्शियम                  

हाइड्रोऑक्साइड                           कार्बोनेट

अन्य संयोजन अभिक्रिया को देखते है |

a.  कोयले का जलना

     C(s) + O2 (g) → CO2(g)

b.   जल का बनना 

     2H2(g)  + O2(g) → H2O (l) 

c.   सल्फर डाइऑक्साइड का बनना 

     S(s) + O2(g) → SO2(g)

d.  जंग का लगना (फेरस ऑक्साइड का बनना )

     S(s) + O2(g) → SO2(g)

ऊष्मा के आधार पर रासायनिक अभिक्रिया के प्रकार : 

A.  ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ : वे अभिक्रियाएँ जिसमें अभिक्रिया के दौरान ऊष्मा निकलती है, ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया कहलाती हैं |

उदाहरण:

a.  CH4(g) + 2O2(g) → CO2(g) + 2H2O(g)

b.  श्वसन भी एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया का उदाहरण है जिसमें कोशिकाएँ श्वसन के दौरान ऊष्मा मुक्त करती है |

c.  शाक सब्जियों या सड़े-गले घास-फूस या पेड़ों के पत्तों का विघटन होकर कम्पोस्ट का बनना |

B.  ऊष्माशोषी अभिक्रियाएँ : वे अभिक्रियाएँ जिसमें ऊष्मा का शोषण  होता है | ऊष्माशोषी अभिक्रिया कहलाती हैं |

उदाहरण:

a.   Ba(OH)2 + 2NH4Cl → BaCl2 + 2NH4OH


2. वियोजन या अपघटन अभिक्रिया (Decomposition Reaction) 

वे अभिक्रियाएँ जिनमें एकल अभिकारक वियोजित/विघटित होकर दो या अधिक उत्पादों का निर्माण करता है | विघटन अभिक्रियाएँ कहलाती है |

विघटन अभिक्रियाएँ तीन प्रकार के होती है |

a. ऊष्मीय वियोजन : इसमें विय&22379;जन की क्रिया ऊष्मा (Heat) के द्वारा होता है |

    उदाहरण:

b. विद्युत वियोजन : इसमें ऊष्मा विद्युत (electricity) के रूप में प्रदान की जाती है |

    उदाहरण: 

c.  प्रकाशीय वियोजन : जब वियोजन की क्रिया के लिए ऊष्मा प्रकाश के द्वारा प्रदान की जाती      हैं |

     उदाहरण: 


3. विस्थापन अभिक्रिया (Displacement Reaction) 

   ऐसी अभिक्रियाएँ जिसमें अधिक अभिक्रियाशील पदार्थ कम अभिक्रियाशील पदार्थ को उसके यौगिक से अलग कर देता है विस्थापन अभिक्रिया कहलाती हैं |

उदाहरण 1:

Fe(s) + CuSO4(aq)   →  FeSO4(aq) + Cu(s)

           कॉपर सल्फेट         फेरम सल्फेट

यहाँ लोहा कॉपर से अधिक अभिक्रियाशील पदार्थ है जो अपने से कम अभिक्रियाशील कॉपर को उसके यौगिक कॉपर सल्फेट से अलग कर देता है | इस अभिक्रिया में कॉपर सल्फेट का रंग नीला होता है परन्तु जैसे ही लोहे की कीलें विलयन में डालते है तो कॉपर के विस्थापन के कारण विलयन का रंग नीला से भूरा हो जाता है |

उदाहरण 2 :

Zn(s) + CuSO4(aq)  →  ZnSO४(aq) + Cu(s)

           कॉपर सल्फेट       जिंक सल्फेट

उदाहरण 3 :

Pb(s) + CuCl2(aq)    →      PbCl2(aq) + Cu(s)

       कॉपर क्लोराइड              लैड क्लोराइड 

उदाहरण 2 तथा 3 में जिंक तथा लैड दोनों तत्वों ने कॉपर को अभिक्रिया में उसके यौगिक से विस्थापित कर देते है ऐसा इसलिए है क्योंकि कॉपर जिंक तथा लैड दोनों से कम अभिक्रियाशील है |

4. द्वि-विस्थापन अभिक्रिया (Double Displacement Reaction) :

ऐसी अभिक्रिया जिसमें अभिकर्कों के बीच आयनों का आदान-प्रदान होता है द्वि-विस्थापन अभिक्रिया कहलाता है |

द्वि-विस्थापन अभिक्रिया के लिए सामान्य सूत्र:

Ab + Cd → Ad + Cb

उदाहरण:

(i) Na2SO4 + BaCl2 → BaSO4  + 2NaCl

(ii) NaOH + H2SO4 → Na2SO4 + H2O

(iii) NaCl + AgNO3 → AgCl + NaNO3

(iv) BaCl2 + H2SO4 → BaSO4 + HCl

(v) BaCl2 + KSO4 → BaSO4 + KCl2

5. उपचयन एवं अपचयन अभिक्रिया (Oxidation And Reduction): 

उपचयन (Oxidation Reaction): ऑक्सीजन की वृद्धि एवं हाइड्रोजन की कमी .

दुसरे शब्दों में:

किसी पदार्थ में ऑक्सीजन की वृद्धि अथवा हाइड्रोजन का ह्रास होता है  अथवा दोनों हो तो इसे उपचयन (oxidation) कहते हैं | 

उपचयन का उदाहरण: 

ऑक्सीजन में वृद्धि के लिए -- 

(i) कार्बन में आक्सीजन की कमी होती है और यह कार्बन डाइऑक्साइड में उपचयित (oxidised) होता है ]

(ii) [फास्फोरस में ऑक्सीजन की वृद्धि होती है एवं यह फोस्फोरस पेंटाऑक्साइड में उपचयित (oxidised) होता है |]

(iii) [इसमें कॉपर में ऑक्सीजन की वृद्धि होती है और यह कॉपर ऑक्साइड में उपचयित (oxidised) होता है ]

हाइड्रोजन का ह्रास:  

उपचयन का उदाहरण:

(i) [यहाँ भी सल्फर हाइड्राइड से हाइड्रोजन का ह्रास होता है और उपचयित (oxidised) होता है |]

(ii [ यहांसे हाइड्रोजन का ह्रास होता है एवं यह उपचयित  (oxidised) होता है ]

अपचयन अभिक्रिया (Reduction Reaction): ऑक्सीजन का ह्रास एवं हाइड्रोजन में वृद्धि अपचयन होता है |

दुसरे शब्दों में:

किसी पदार्थ में हाइड्रोजन की वृद्धि अथवा ऑक्सीजन का ह्रास  अथवा दोनों हो तो इसे अपचयन कहते है |

​अपचयन का उदाहरण:


कभी-कभी ये दोनों अभिक्रियाएँ साथ-साथ होती है :

रेडोक्स अभिक्रिया (Redox Reaction): ऐसी अभिक्रिया जिसमें अभिक्रिया के दौरान एक अभिकारक उपचयित (oxidised) होता है जबकि दूसरा अपचयित होता है उसे रेडोक्स अभिक्रिया कहते हैं |

दुसरे शब्दों में;

जब किसी अभिक्रिया के दौरान उपचयन की क्रिया एवं अपचयन की क्रिया एक साथ होता हो उसे रेडोक्स अभिक्रिया कहते हैं |

उदाहरण;

यहाँ एक ही अभिक्रियाँ में उपचयन एवं अपचयन दोनों की क्रिया हो रही है इसलिए यह रेडोक्स अभिक्रिया है | 


ऑक्सीकारक (Oxidising Agent/Oxidants/Oxidisers): 

वह पदार्थ जो उपचयन के लिए ऑक्सीजन देता है या अपचयन के लिए हाइड्रोजन को हटाता है, ऑक्सीकारक कहलाता है |

अवकारक (Reducing agent):

वह पदार्थ जो ऑक्सीजन के हटने के लिए उत्तरदायी होता है अथवा अपचयन के लिए हाइड्रोजन देता है, अवकारक कहलाता है |

उदाहरण: 

यहाँ उपरोक्त उदाहरण में CuO कॉपर ऑक्साइड का कॉपर में अपचयन (अवकरण) होता है अत: CuO (कॉपर ऑक्साइड) अपचयित पदार्थ है | चूँकि CuO (कॉपर ऑक्साइड) उपचयन के लिए ऑक्सीजन प्रदान करता है, जिससे हाइड्रोजन ऑक्सीकृत होता है अत: कॉपर ऑक्साइड ऑक्सीकारक है |

H2 हाइड्रोजन जल  H2O में आक्सीकृत होता है, अत: एवं यह ऑक्सीजन के CuO (कॉपर ऑक्साइड) से हटने के लिए उत्तरदायी है | H2 (हाइड्रोजन) एक अवकारक है |

सरांश : 

(a) उपचयित पदार्थ : H2                   // जिसमें ऑक्सीजन की वृद्धि होती है |

(b) अपचयित पदार्थ: CuO            // जिससे ऑक्सीजन का ह्रास होता है |

(c) ऑक्सीकारक :CuO                   // जो उपचयन के लिए ऑक्सीजन प्रदान करता है |

(d) अवकारक : H2              // जो ऑक्सीजन के ह्रास के लिए उत्तरदायी है |


उपचयन का प्रभाव: 

हमारे दैनिक जीवन में ऐसी बहुत सी अभिक्रियाएँ हमारे आस-पास होती रहती है जिसमें से धातुओं का संक्षारण एवं खाद्य पदार्थो का विकृतगंधित हो जाना सामान्य उदाहरण है जो उपचयन अभिक्रिया के प्रभाव से होता है |

1. संक्षारण (Corrosion): Imp.

वह प्रक्रिया जिसमें हवा, जल एवं नमी के संपर्क में आकर धातु की सतह धीरे-धीरे ह्रास होने लगता है, इस प्रक्रिया को संक्षारण कहते है |

दुसरे शब्दों में :

वह प्रक्रिया जिसमें हवा, जल एवं नमी से अभिक्रिया कर किसी धातु की सतह संक्षारित (गलना) हो जाती है तो ऐसी प्रक्रिया को संक्षारण कहते है |

नोट-**** संक्षारण एवं जंग लगना दोनों अलग चीज है, जंग लगाने से लोहे जैसी धातु की सतह संक्षारित हो जाती है |

संक्षारण से बचाव (Preventing Corrosion)

संक्षारण से बचाव की निम्न विधियाँ हैं |

(i) जस्तीकरण (galvonisation)

(ii) धातु की सतह को पेंट करके

(iii) धातु की सतह पर तेल लगाकर या ग्रीस लगाकर 

जस्तीकरण (Galvonisation): किसी धातु की सतह पर विध्युत लेपन द्वारा जस्ते (zinc) की पतली परत चढाने की प्रक्रिया को जस्तीकरण कहते है |

2. विकृतगंधिता (Rancidity): Imp.

भोजन में उपस्थित वसा एवं तेल का वायुजनित उपचयन जिससे उसका स्वाद एवं गंध बदल कर बदबूदार हो जाता है भोजन का इस प्रकार ख़राब होना विकृतगंधिता कहलाता है |

विकृतगंधिता एक घटना है जब बहुत समय रखने के बाद वसा/तेलीय खाद्य पदार्थ उपचयित हो जाता है जिससे उसका स्वाद बदल जाता है |

वसा अथवा तेल में तैयार किया गया खाद्य पदार्थ जैसे सब्जी, चिप्स, तथा भुजिया आदि को विकृतगंधित होने से ख़राब कर देता है |

उपचयित खाद्य पदार्थ का स्वाद बदल जाता है |

विकृत गंधित भोजन खाने योग्य नहीं होता है |  

Preventing fat/oil containing foods from rancidity: 

वसा एवं तेलीय खाद्य पदार्थ का विकृतगंधिता से बचाव: 

वसा एवं तेलीय खाद्य पदार्थ को विकृतगंधित होने से बचाया जा सकता है अथवा इसकी दर को कम किया जा सकता है | इसको रोकने की निम्न विधियाँ हैं |

(i) वसा एवं तेलीय खाद्य पदार्थों में एंटी-ऑक्सीडेंट (anti-oxidants) डालने से इसे विकृतगंधित होने से बचाया जा सकता है |

(ii) खाद्य पदार्थों के पैकिंग के समय बर्तन से ऑक्सीजन गैस को हटा कर नाइट्रोजन गैस से भरा जाता है | इससे विकृतगंधित होने से बचाया जा सकता है |

(iii) उपचयन की दर को कम करने के लिए वायु-मुक्त बर्तन में खाद्य पदार्थों को रखने से विकृतगंधित होने की दर को कम किया जा सकता है |

(iv) खाद्य पदार्थों को विकृतगंधिता से बचाने के लिए ऊष्मा एवं प्रकाश से दूर रखा जाता है |

(v) खाद्य पदार्थों को विकृतगंधिता से बचाने के लिए एवं उसकी दर को कम करने के लिए रेफ्रीजेरेटर ने रखा जाता है |


रासायनिक समीकरण को संतुलित करना :

रासायनिक समीकरणों के संतुलित करने की विधि :

हम यहाँ निरिक्षण विधि या हिट्स एंड ट्रायल का उपयोग करेंगे |

उदाहरण - I 

उदाहरण के लिए समीकरण  Fe + H2O → Fe3O4 + H2 को लेते है |

Steps:

(i)  यह कल्पना करते हुए कि प्रत्येक सूत्र बॉक्स में है उन्हें निम्न प्रकार से बॉक्स में लिखिए | यह इसलिए कि बॉक्स के अन्दर कोई भी बदलाव नहीं होना चाहिए यह आपको ध्यान देना है |


(ii)  असंतुलित समीकरण में उपस्थित विभिन्न प्रकार के तत्वों के परमाणुओं का सूचि बनाइए         एवं गिनती कीजिए | इस प्रकार से

तत्व                   अभिकारक                                  उत्पाद

Fe                          1                                              3

O                           1                                              4

H                            2                                              2

 पहले ये देखिए कि किस तत्व के परमाणुओं की संख्या सबसे अधिक है | यह अभिकारक या उत्पाद की ओर से हो सकता है | इसी कसौटी के उपयोग से हम पाया कि यौगिक Fe3O4 में O तत्व के सबसे अधिक 4 परमाणु हैं |

       

ऑक्सीजन के परमाणुओं की संख्या को बराबर करने के लिए, H2O के साथ गुणांक 4 लगाते है जिसे इस प्रकार  4H2O लिखेंगे | तब हमें यह समीकरण प्राप्त होता है |

            Fe + 4H2O → Fe3O4 + H2

(iii)  अगला अधिकतम परमाणुओं वाला तत्व Fe है | जिसे ठीक उसी नियम से संतुलित करना है |

         

अभिकारक की ओर Fe के साथ गुणांक 3 लगाने पर 3Fe प्राप्त होता है, तब समीकरण होगा |

             3Fe + 4H2O → Fe3O4 + H2

(iv)  अंत में हम दोनों पक्षों के हाइड्रोजन परमाणुओं को संतुलित करना है | अब हमें प्राप्त नए समीकरण में देखते है कि अभिकारक में हाइड्रोजन 4H2O के रूप में है एवं उत्पाद में  H2 के रूप में है | अभिकारक की ओर 4 × 2 = 8 परमाणु है जबकि उत्पाद की ओर सिर्फ 2 परमाणु है | तब;

              

यहाँ अब पहले की तरह बायीं ओर दो और दाई ओर 8 नहीं लगायेंगे बल्कि अब 8 और 2 से गुणांक प्राप्त करेंगे जैसे (8 ÷ 2 ) =4  तो गुणांक 4 होगा जो दाई ओर हाइड्रोजन के साथ लगाने से परिणाम 4 × 2 = 8 प्राप्त होगा | तब समीकरण होगा |

            3Fe + 4H2O → Fe3O4 + 4H2   

अब हम यह देखते है कि यह समीकरण पूरी तरह संतुलित है |

उदाहरण -II

अब हम एक नए समीकरण को निरीक्षण  विधि (हिट्स एंड ट्रायल) से हल करने की कोशिश करते करते हैं |

HNO3 + Ca(OH)2 → Ca(NO3)2 + H2O

Steps: 

(i)  ऊपर दिए समीकरण को देखने से ज्ञात होता  है कि के यौगिक के सबसे अधिक दो परमाणु/अणु है | संतुलित करने के लिए हमारे पास LHS में 1 तथा RHS में 2 अणु हैं | इसलिए 

               

यहाँ नाइट्रोजन तथा ऑक्सीजन संतुलित हो जायेंगे जब 2NO3 अभिकारक की ओर और NO3 उत्पाद की ओर लिखते हैं, तब समीकरण प्राप्त होगा |

 2HNO3 + Ca(OH)2 → Ca(NO3)2 + H2O

(ii)  यहाँ कैल्सियम स्वत: संतुलित हो चूका है | अब हमें केवल हाइड्रोजन अणु को संतुलित करना है | अभिकारक की ओर कुल 4 हाइड्रोजन परमाणु है और उत्पाद की ओर 2 हैं |

                

उत्पाद को 2 गुणांक के रूप में चाहिए क्योंकि (4 ÷ 2) = 2, तब समीकरण प्राप्त होगा ; 

2HNO3 + Ca (OH)2 → Ca(NO3)2 +2H2O

(iii)  इस समीकरण में अब करने के लिए कुछ नहीं है इसलिए इसमें उपस्थित विभिन्न तत्वों के परमाणुओं की गिनती करने तथा सूची बनाने पर हमें प्राप्त होगा |

तत्व                   अभिकारक                     उत्पाद

O                           8                                  8

N                           2                                  2

Ca                         1                                  1

H                            4                                 4

इस प्रकार हम देखते है कि समीकरण संतुलित हो चूका है |

2HNO3 + Ca (OH)2 → Ca(NO3)2 +2H2O

अब आप कंकाली रासायनिक समीकरण को संतुलित करना सीख चुके होंगे | 

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रासायनिक समीकरण और अभिक्रियाएं

 रासायनिक अभिक्रिया (Chemical Reactions):-जब एक या एक से अधिक पदार्थों के परमाणु आपस में रासायनिक सहयोग करके एक या एक से अधिक नया पदार्थ बनाते हैं तो इस घटना को रसायनिक अभिक्रिया कहते हैं।।

जैसे:- कार्बन और आक्सीजन आपस में कार्बन डाई ऑक्साइड बनाते हैं।

C+O2-

अभिकारक:- वे पदार्थ जो किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेते हैं उन्हें अभिकारक कहते हैं ।।

जैसे कार्बन और ऑक्सीजन

उत्पाद:- दो या दो से अधिक पदार्थ आपस में रासायनिक संयोग करके एक नया पदार्थ बनाते हैं जिसे उत्पाद कहते हैं! दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि 

रासायनिक अभिक्रिया होने के पश्चात जो नया पदार्थ बनता है उसे उत्पाद कहते हैं।

जैसे:-कार्बन डाई ऑक्साइ

रासायनिक अभिक्रिया निम्न तीन प्रकार की होती ह योगात्मक दिया संयोजन अभिक्रिया

आप घटाने या वियोजन अभिक्रिया

प्रतिष्ठा पनिया विस्थापन अभिक्रिया

भाई विस्थापन अभिक्रिया

अबे कार्गो तथा उत्पादों की अवस्थाओं के लिए दोस्त को ऐसी गैस कोच्चि तत्व ब्रावो एल से प्रदर्शित करते हैं

रासायनिक समीकरण:-किसी रासायनिक अभिक्रिया में अभी कार्गो तथा उत्पादों को शत्रु तथा प्रतीकों के द्वारा व्यक्त करना रासायनिक समीकरण कहलाता है//


रासायनिक समीकरण दो प्रकार का होता है:-

1-असंतुलित या काली रासायनिक समीकरण

2-संतुलित रासायनिक समीकरण

1-असंतुलित या कंगाली रासायनिक समीकरण:-जब किसी रासायनिक समीकरण में अभिकारको तथा उत्पादों के प्रत्येक परमाणुओं की संख्या सदैव असमान होती है दो उसे कंकाली रासायनिक समीकरण कहते हैं।।

जैसे

ऐसी रासायनिक समीकरण जिसके अभिकारको के परमाणुओं की संख्या उत्पादों के परमाणुओं की संख्या के बराबर होती है उसे संतुलित रासायनिक समीकरण करते हैं।।

अर्थात 

वह रासायनिक समीकरण जिसके दोनों पक्षों में प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या सदैव बराबर होती है उसे संतुलित रासायनिक समीकरण कहते हैं।।

जैसे--

नोट:-संतुलित रासायनिक समीकरण सभी अभिकारकों का द्रव्यमान सभी उत्पादों के द्रव्यमान के बराबर होता है।

रासायनिक समीकरण को संतुलित करना (हिट एंड ट्रायल विधि से):- लेटराइट सॉइल विदेशी समीकरण को संतुलित करने के लिए सर्वप्रथम अभी कारकों को तेरे के बाएं तरफ तथा उत्पादों को चीर के दाएं तरफ लिखते हैं

विज्ञान कक्षा -9 पाठ-2 "क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं?"

🖍️ विज्ञान कक्षा -9  पाठ-2  📝


📗✍️"क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं?"📒📒

🖋️शुद्ध पदार्थ, अशुद्ध पदार्थ, तत्व, तत्व के प्रकार, धातु तथा अधातु, यौगिक, यौगिक के प्रकार, कार्बनिक यौगिक, अकार्बनिक यौगिक, मिश्रण, मिश्रण के प्रकार,समांगी मिश्रण,विषमांगी मिश्रण,विलयन किसे कहते हैं, विलेय तथा विलायक, विलयन की सान्द्रता, निलंबन विलयन,कोलायडी विलयन। किसे कहते हैं?तो आइये आज की इस पोस्ट के माध्यम से इन सभी चीजों को बहुत ही सरल तरीके से अभी समझते हैं।

🌹हैलो दोस्तों, मैं हूं आपका दोस्त 👍Mr G.P. Sir आप सभी को हमारे ब्लोग में विजिट करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏🙏🙏🙏आइए जानते हैं:-

"क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं?"

1-शुद्ध पदार्थ (Pure Substance)- वे पदार्थ जो एक ही प्रकार के कणों से मिलकर बने होते हैं, उन्हें शुद्ध पदार्थ कहते हैं।

जैसे:- सोना,चांदी, चीनी आदि।

2-अशुद्ध पदार्थ (Unpure Substance)- वे पदार्थ जो दो या दो से अधिक प्रकार के पदार्थ के कणों से मिलकर बने होते हैं उन्हें अशुद्ध पदार्थ कहते हैं।

जैसे- पीतल,स्टील,शर्बत, रायता आदि।

3-तत्व(Element)- वे पदार्थ जिन्हें भौतिक या रासायनिक विधियों द्वारा दो या दो से अधिक भागों में विभाजित नहीं किया जा सकता है उसे तत्व कहते हैं।

जैसे- H,He,Li,Be,B,C,N,O,F,Ne,Na,Mg,Al, आदि।

तत्व को तीन भागों में विभाजित किया गया है-

१-धातु (Metal)

२-अधातु (Non-metal)

३-उपधातु (Metalloid)

(i)धातु (Metal)- वे तत्व जो इलेक्ट्रान त्याग कर धनायन बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं, उन्हें धातु कहते हैं।।

जैसे-Na,Mg,Al,Zn,Sn,Pb,Hg आदि।

(ii) अधातु(Non-metal)- वे तत्व जो इलेक्ट्रान ग्रहण करके ऋणायन बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं उन्हें अधातु कहते हैं।

जैसे- H,O,N,Br,I, आदि।

(iii) उपधातु (Metalloid)- वे तत्व जो कुछ विशेष परिस्थितियों में धातु तथा अधातु दोनों की तरह व्यवहार करते हैं, उन्हें उपधातु कहते हैं।

अर्थात्

"उपधातु ऐसै तत्व होते हैं जो कुछ विशेष परिस्थितियों में ग्रहण करके ऋणायन बनाते हैं तथा कभी कभी इलेक्ट्रान त्याग कर धनायन बनाते हैं।"

अतः "उपधातुओं में धातु तथा अधातु दोनों के गुण पाए जाते हैं।"

जैसे- B,As,Sb,Bi आदि।

नोट:- 

  • H एक ऐसा तत्व है जो धातु तथा अधातु दोनों की तरह व्यवहार करता है।यह एक अपवाद है, H के इस गुण को द्वैध प्रकृति कहते हैं।
  • Br एक अधातु है जो द्रव अवस्था में पायी जाती है।
  • Hg (ब्रोमीन) एक धातु है जो द्रव अवस्था में पायी जाती है।
  • डाक्टरों के थर्मामीटर में Hg (पारा) का प्रयोग किया जाता है

☑️4-यौगिक (Compound)- जब दो-या-दो से अधिक तत्व एक निश्चित अनुपात में रासायनिक संयोग करके एक नया पदार्थ बनाते हैं तो उसे यौगिक कहते है।

जैसे:- जल, चीनी, नौसादर फिटकरी, कार्बन डाई ऑक्साइड, ग्लूकोज आदि।

योगिक दो प्रकार का होता है:-

१- कार्बनिक यौगिक(Organic Compound)

२- अकार्बनिक यौगिक(Inorganic Compound)

१- कार्बनिक यौगिक

(OrganicCompound)- वे पदार्थ जो पेड़- पोधै तथा जीव जंतुओं से प्राप्त होते हैं उन्हें कार्बनिक यौगिक कहते हैं।

जैसे:- चीनी,तेल, घी, शहद आदि।

२- अकार्बनिक यौगिक (Inorganic Compound)- वे पदार्थ जो प्रथ्वी से प्राप्त होते हैं उन्हें अकार्बनिक यौगिक कहते हैं।

जैसे:- नमक, जल, पेट्रोल, डीजल, केरोसिन आदि।

☑️5-मिश्रण (Mixture)- दो या दो से अधिक पदार्थों को किसी भी अनुपात में मिलाने से जो नया पदार्थ बनता है उसे मिश्रण कहते हैं।

जैसे:- चीनी और बालू का मिश्रण, शर्बत यानि कि जल, चीनी, नमक, जलजीरा, पुदीना आदि का मिश्रण, ग्लूकोज और जल का मिश्रण आदि।

मिश्रण दो प्रकार का होता है:-

१- समांगी मिश्रण

२- विषमांगी मिश्रण

१-समांगी मिश्रण (Homogeneous Mixture)- ऐसा मिश्रण जिसमें पदार्थ के कणों को देखा नहीं जा सकता है, उसे समांगी मिश्रण कहते हैं।

अर्थात्

"ऐसा मिश्रण जिसमें पदार्थ के कणों में पूर्ण रूप से अन्तर स्पष्ट न किया जा सके उसे समांगी मिश्रण कहते हैं।।"

जैसे:- दूध और जल का मिश्रण, ग्लूकोज और जल का मिश्रण आदि।

२- विषमांगी मिश्रण (Heterogeneous Mixture)- ऐसा मिश्रण जिसमें पदार्थ के कणों को अलग अलग स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, उसे विषमांगी मिश्रण कहते हैं।। अर्थात्

ऐसा मिश्रण जिसमें पदार्थ के कणों में अन्तर स्पष्ट किया जा सके उसे विषमांगी मिश्रण कहते हैं।"

जैसे:- चीनी और बालू का मिश्रण,तेल और जल का मिश्रण, सीमेंट,बालू और गिट्टी का मिश्रण आदि।।

✔️6-विलयन (Solution)- दो या दो से अधिक पदार्थों के समांगी मिश्रण को विलयन कहते हैं।।

            विलयन = विलेय + विलायक

विलेय(Solute)- वे पदार्थ जो किसी पदार्थ में मिल या घुल जाते हैं, उन्हें विलेय कहते हैं।

दूसरे शब्दों में-

हम कह सकते हैं कि "वे पदार्थ जिनकी मात्रा विलयन में कम होती है उसे विलेय कहते हैं"

जैसे:- चीनी, नमक, ग्लूकोज आदि। 

विलायक(Salvent)- वे पदार्थ जो किसी अन्य पदार्थ को अपने में मिला लेते हैं, उन्हें विलायक कहते हैं।

दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि-

"वे पदार्थ जिनकी मात्रा विलयन में सर्वाधिक होती हैं उन्हें विलायक कहते हैं।"

7-विलयन की सान्द्रता (Concentration of Solution)- किसी विलयन में उपस्थित विलेय पदार्थ की मात्रा को विलयन की सांद्रता कहते हैं।

✅8-निलंबन विलयन (Suspension Solution)- ऐसा विलयन जिसमें जिसमें विलेय पदार्थ के कणों का आकार 10 की घाते -7 मी. की कोटि का होता है, उसे निलंबन विलयन कहते हैं।

अर्थात्

"ऐसा विलयन जिसमें विलेय पदार्थ के कण घुलते नहीं हैं बल्कि विलयन के मध्य में तैरते रहते हैं, उसे निलंबन विलयन कहते हैं। निलंबन एक विषमांगी मिश्रण होता है।।"

जैसे:- जल तथा चाॅक के चूर्ण का विलयन आदि।

9-कोलायडी विलयन (Colloidal Solution)- ऐसा विलयन जिसमें विलेय पदार्थ के कणों का आकार 10 की घाते -9 मी. से 10 की घाते -10 मी. की कोटि का होता है उसे कोलायडी विलयन कहते हैं।।

जैसे- कोहरे का बनना, जेली, गोंद आदि।।

नोट:- कोलायडी विलयन के कणों को देखा नहीं जा सकता है।।




उपरोक्त सभी परिभाषाओं को आप हमारी ये तीनों बीडियो देखकर और अच्छे से समझ सकते हैं!!

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G.P.Sir Banda

 8090707715.

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